जब निवेश करने की बात आती है तो निवेशकों के पास विकल्पों की एक बड़ी रेंज होती है, जैसे कि इक्विटी v/s debt, पेसिव v/s एक्टिव फंड, स्टॉक v/s म्यूचुअल फंड, ग्रोथ v/s वैल्यू निवेश, आदि. शेयर बाजार में निवेश करते समय वैल्यू और ग्रोथ निवेश एसे दो निवेश रणनीतियाँ (strategies) हैं जिनमे से निवेशक अपने लिए योग्य स्ट्रेटजी चुन सकते हैं.
दोनों अलग-अलग दृष्टिकोण (approaches) से आपके उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं और शेयर बाजार में अपने धन (wealth) को बढाने के लिए निवेशकों द्वारा लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग किये जाते हैं.
फंडामेंटल रिसर्च, वेल्यु और ग्रोथ शेयरों के बीच अंतर करने में मदद करता है. आइए उनके बीच के अंतर (differences) बताने से पहले हर एक दृष्टिकोण (approach) को विस्तार से जानते है.
यह भी पढ़े : शेयर कैसे खरीदें | शेयर मार्केट में पैसा कैसे लगाएं
वैल्यू निवेश क्या है? | WHAT IS VALUE INVESTING IN Hindi
वैल्यू निवेश की अप्रोच आम तौर पर कम मूल्य (undervalued) वाले शेयरों को चुनता है या जिनके मौजूदा बाजार मूल्य उनके अंतर्निहित (inherent) मूल्य से कम है. इसलिए, वे धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं, लेकिन उनके पास उच्च अंतर्निहित (underlying) मूल्य होता है. यह धारणा है कि बाजार जल्दी से मूल्य को perceive करेगा, और शेयर की कीमत ‘catch up’ कर ली जाएगी, जिसके परिणाम स्वरूप एक अच्छा रिटर्न प्राप्त होगा. उदाहरण के लिए मान लीजिये की, यदि स्टॉक की वास्तविक कीमत 30/- रू. प्रति शेयर है लेकिन यह 25/- रुपये पर ट्रेड कर रहा है. इसलिए विश्लेषक फिलहाल इसे एक अच्छा वेल्यु पे (value pay) मानेंगे.
वैल्यू शेयरों को कई कारणों से कम आंका जा सकता है, जैसे कि कानूनी समस्याएं (legal problems), आर्थिक स्थिति, निराशाजनक कमाई, नकारात्मक प्रचार, आदि. ये सभी कारण कंपनी की लम्बे समय की संभावनाओं के बारे में संदेह (doubt) पैदा करते हैं. हालांकि, वे धीरे-धीरे वापस बढ़ाते हैं, और ऐसे वैल्यू स्टॉक लंबी समय अवधि के निवेशकों के लिए सबसे योग्य होते हैं और ग्रोथ शेयरों की तुलना में कीमतों में उतार-चढ़ाव (fluctuations) का अधिक जोखिम उठा सकते हैं.
यह भी पढ़े : भारत में सबसे ज्यादा डिविडेंड देने वाले शेयर 2022 | डिविडेंड मीनिंग इन हिंदी
ग्रोथ निवेश क्या है? | WHAT IS GROWTH INVESTING IN HINDI
ग्रोथ इनवेस्टिंग अप्रोच उन कंपनियों का प्रतिनिधित्व (represents) करता है जिनकी कमाई को बेहतर बनाने की क्षमता हाई होती है और उनसे प्रॉफिट ग्रोथ से ज्यादा रिटर्न देने की उम्मीद की जाती है. ग्रोथ स्टॉक मिड-कैप, स्मॉल-कैप और लार्ज-कैप फंड में आते हैं. नजदीकी भविष्य में उच्च ग्रोथ या रिटर्न की प्रत्याशा (anticipation) में निवेशक निवेश करने और अधिक कीमत चुकाने के इच्छुक रहते हैं.
निवेशक इसकी बिजनस करने की रणनीति (strategy) और निकट भविष्य में इसके विकास की संभावनाओं को लेकर आशान्वित (optimistic) रहते हैं. कई कारक निवेशकों का विश्वास बढाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, जिसमें कंपनी की प्रतिस्पर्धी स्थिति या कंपनी के फॉलोविंग प्रोडक्ट लाइन के लिए पोजिटिव रिसेप्शन (reception) की उम्मीद शामिल है.
इसके अलावा, उनका ज्यादा कीमत-से-आय का अनुपात (price-to-earnings ratio) इन शेयरों को उनके प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में ज्यादा ‘महंगा’ (expensive) बनाता है. यही कारण है कि निवेशक इन इक्विटी के लिए अब कमाई की तुलना में अधिक कीमत चुकाने को तैयार हैं क्योंकि उनका मानना है कि भविष्य की कमाई यह कीमत को जस्टीफाई करेगी.
यह भी पढ़े : इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है | इंट्राडे ट्रेडिंग से पैसे कैसे कमाए
वैल्यू और ग्रोथ इन्वेस्टिंग के बीच का अंतर
वर्षों से चल रहे ग्रोथ निवेश और वैल्यू निवेश के बीच एक निरंतर लड़ाई रही है और दोनों दृष्टिकोणों (approaches) के पास उनका समर्थन करने के लिए उपयुक्त तर्क भी हैं. कुछ फंडामेंटल अंतर यह हैं कि ग्रोथ स्टॉक भविष्य में औसत या उस से ऊपर का प्रदर्शन (performance) जारी रखेगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि जो कंपनियां अपने साथियों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करती हैं, वह कंपनी नई हो सकती हैं या किसी उभरते (emerging) हुए क्षेत्र से संबंधित हो सकती हैं जो भविष्य में उस उद्योग की अग्रणी कंपनी बन सकती हैं.
दूसरी ओर, वैल्यू निवेश अप्रोच का एक अलग दृष्टिकोण (perspective) है. वह रिकॉर्ड तोड़ने वाले आंकड़ों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, वैल्यू निवेशक ऐसी कंपनियों को चुनते हैं जो परिपक्व क्षेत्रों (mature sectors) से संबंधित हों और जिनके पास एक अच्छा अनुमानित रेवन्यू हो.
वैल्यू स्टॉक v/s ग्रोथ स्टॉक के बीच एक और अंतर यह है कि जब ब्याज दर घटती है और कॉर्पोरेट की इनकम बढ़ती है, तो वे अपने साथियों से अच्छा प्रदर्शन करने की ज्यादा संभावना रखते हैं. हालांकि, जब अर्थव्यवस्था (economy) धीमी होगी तो सबसे पहले इसे ही दंडित (penalized) किया जाएगा. जबकि शुरुआती आर्थिक सुधार में वैल्यू स्टॉक अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, लेकिन लंबी समय अवधि के बुल मार्केट में अंडर परफॉर्म करने की अधिक संभावना है क्योंकि निरंतर मीडिया कवरेज, अफवाह, या कंपनी के मेनेजमेंट की खबर सामने आ सकती है और घबराहट में बिक्री बंद कर सकती है.
यह भी पढ़े : फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट क्या हैं? What are futures contract in Hindi
वैल्यू v/s ग्रोथ निवेश: कौन सा बेहतर है?
जब वैल्यू और ग्रोथ निवेश के बीच में से किसी एक निवेश शैली को चुनते समय, या शेयर बाजार में निवेश करते समय उसमे कुछभी सही या गलत नहीं होता है. इसके बजाय, उसके दोनों दृष्टिकोण (approaches) गुणों, उद्देश्यों और जोखिमों का एक अनूठा (unique) सेट देते हैं. इसलिए, किसी एक निवेश की शैली का चुनाव करने के बजाय एक हाइब्रिड स्ट्रेटजी को अपनाना सबसे अच्छा है क्योंकि दोनों की अपनी अपनी सीमाएं हैं.
क्या ग्रोथ निवेश वैल्यू निवेश से जोखिम भरा है?
कोई भी निवेश बिना जोखिम वाला नहीं होता है क्योंकि बाजार की भविष्यवाणी को पूरी तरह से नियंत्रण नहीं किया जा सकता है. इसीलिए, निवेश करने से पहले, आपको वैल्यू निवेश और ग्रोथ निवेश के सभी फायदे और नुकशान का मूल्यांकन (evaluate) करना चाहिए. इसके बावजूद, वैल्यू स्टॉक को ग्रोथ स्टॉक की तुलना में ज्यादा जोखिम भरा माना जाता है. प्रोफिटेबल बनने के लिए, एक वैल्यू स्टॉक को बाजार में कंपनी की perception को बदलना चाहिए, जिसे एक उभरती कंपनी की तुलना में जोखिम भरा माना जाता है.
ग्रोथ या वैल्यू निवेश मे से कोनसा बेहतर है?
यह सब निवेशक की फाइनेंसियल स्थिति (situation) और उनके लक्ष्य पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए मान लीजिए की, जब ब्याज दरें कम होती हैं और कम रहने की उम्मीद होती है, तो ग्रोथ कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर सकती हैं, लेकिन कई निवेशक कीमतों में वृद्धि होने पर वैल्यू शेयरों में स्विच कर सकते हैं. ग्रोथ कंपनियों ने हाल ही में वैल्यू इक्विटी से बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन वैल्यू शेयरों का एक लंबा और अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है.
क्या ग्रोथ या वैल्यू स्टॉक डिविडेंट का पेमेन्ट करते हैं?
विशिष्ट (typical) वैल्यू स्टॉक, औसत ग्रोथ स्टॉक की तुलना में अधिक डिविडेंड इनकम प्रदान करता है. यह अप्रत्याशित (unexpected) नहीं है, यह देखते हुए कि वैल्यू शेयरों को अक्सर परिपक्व निगम (mature corporations) माना जाता है जो ज्यादा महत्वपूर्ण डिविडेंड देते हैं.
यह भी पढ़े :
भारत में ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते हैं | TYPES OF STOCK TRADING IN INDIA