सही म्यूचुअल फंड का चयन कैसे करे | Selecting a mutual fund scheme in Hindi

सही म्यूचुअल फंड का चयन करते समय जाँच करें कि स्कीम ने दूसरों की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है.

सही म्यूचुअल फंड स्कीम चुनने के लिए कुछ criteria और parameters होते हैं. हालांकि, हर एक व्यक्तिगत इन्वेस्टर यूनिक होता है और सबका निवेश का तरीका, फाइनेंसियल उदेश्य, जोखिम उठाने की क्षमता और फाइनेंसियल स्थिति एक दूसरे से अलग होती है. प्रत्येक निवेशक को उन सभी क्राइटेरिया और पेरामीटरो को ध्यानपूर्वक सीखने और समजने की जरूरत है जो उनको स्कीम का चुनाव करने के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी हैं.

सही म्यूचुअल फंड का चयन कैसे करे?

यहाँ कुछ पेरामीटर दिए गए है जो अच्छे म्युचुअल फंड को चुनने में आपकी मदद कर सकते हैं

प्रदर्शन में निरंतरता (Consistency maintained in performance):

जाँच करें कि उस स्कीम ने बताए गए बेंचमार्क पर दूसरी स्कीमो की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है. उनके 6 महीने से लेकर 1 साल तक के छोटे समय के प्रदर्शन के आधार पर फंड को जज न करें. इसके बजाय उन फंडों का चुनाव करें जिसने अपने बेंचमार्क को पीछे छोड़ कर 3, 5 या 10 वर्षों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करके स्थिर रिटर्न प्राप्त किया है. ऐसी योजनाए चुनें जिसने न केवल बाजार में तेजी होने पर अच्छा प्रदर्शन किया हो, जबकी एसी स्कीम चुने जिसका मंदी में या मंदी के समय अवधि के दौरान भी एक स्थिर रिटर्न रहा हो.

अपनी कैपेसिटी और लक्ष्यों को निवेश के ऑब्जेक्टिव के साथ Align (संरेखित) करें:

सबसे महत्वपूर्ण और सबसे पहली चीज जो आपको करने की जरूरत है वह है अपना फाइनेंसियल प्लान तैयार, आपने शोर्ट टर्म या लॉन्ग टर्म फाइनेंसियल लक्ष्यों को निर्धारित करना, आप कितने समय के लिए मार्केट में रहना चाहते हैं उसके मापदंड और सबसे महत्वपूर्ण आपकी जोखिम उठाने की और सहन करने की क्षमता है.

म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करते समय उससे जुड़े संबंधित दस्तावेजों को अच्छी तरह से पढ़ें और स्कीम के इन्वेस्टमेंट ऑब्जेक्टिव को समझने की कोशिश करे. जानिए की किस तरह की सिक्योरिटीज में आपका पैसा इन्वेस्ट किया जाने वाला है. ऑब्जेक्टिव को समजे और सुनिश्चित करें कि वे आपके द्वारा तैयार किये गए निवेश लक्ष्यों और जोखिम प्रोफ़ाइल के अनुरूप हैं.

बेंचमार्क के सामने प्रदर्शन की तुलना (Comparison of performance against a benchmark):

बेंचमार्क इंडेक्स एक मानक है जिसके खिलाफ म्यूचुअल फंड स्कीम के स्टॉक आवंटन और प्रदर्शन की तुलना की जाती है. किसी भी स्कीम के एसेट एलोकेशन और फिलोसोफी को बेंचमार्क इंडेक्स का पालन करना चाहिए. सेबी (SEBI) ने यह भी निर्देश दिया है कि म्यूचुअल फंड इंडेक्स के टोटल रिटर्न इंडेक्स (टीआरआई) वेरिएंट को अपने बेंचमार्क के रूप में इस धारणा पर इस्तेमाल करते हैं कि म्यूचुअल फंड में dividends प्राप्त होने पर फिरसे इनवेस्ट किया जाता है.

केटेगरी के खिलाफ प्रदर्शन की तुलना  (Comparison of performance against category)

म्यूचुअल फंड स्कीम का चुनाव करते समय, उसके प्रदर्शन की तुलना उसके सक्रिय peer group से करे, जिसका अर्थ है कि उसके समान या समान प्रकार के म्यूचुअल फंड स्कीम को compare करें. उदाहरण के तोर पर, एक लार्जकैप इक्विटी म्यूचुअल फंड की तुलना केवल अन्य लार्जकैप म्यूचुअल फंडों से की जा सकती है, न कि debt फंड या मिड-कैप फंड से. यह निवेशकों को फंड के performance को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है.

अर्थव्यवस्था की भूमिका (The role of the economy):

सरकार के द्वारा लिए गए निर्णय, किसी देश की आर्थिक स्थिति, मार्केट और इंडस्ट्री का प्रदर्शन, ये सभी चीजे मार्केट को प्रभावित करते हैं. यह anticipation का मेटर है और फंड मैनेजर के निर्णय शक्ति लेने की क्षमता निवेश पोर्टफोलियो बनाने वाले शेयरों का चयन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इसलिए आपके लॉन्ग टर्म और शोर्ट टर्म ऑब्जेक्टिव को ध्यान में रखते हुए मार्केट सेक्टर, asset class और फंड मेनेजमेंट की शैली में निवेश में विविधता लाना सबसे वांछनीय (desirable) विकल्प है.

एसेट अंडर मेनेजमेंट (AUM):

एयूएम (AUM) किसी भी स्कीम के फंड का Net assets या फण्ड साइज है. फंड की साइज फंड की क्षमता को बढ़ाने मे मदद करता है जिसके कारण निवेशक उस फंड में अन्य फंडों के मुकाबले में अत्यधिक निवेश करते हैं, जो उस विशेष म्यूचुअल फंड योजना को विशिष्ट श्रेणी में उनके प्रति अपना समग्र विश्वास दिखाते हैं. फंड हाउस अपने अनुभवी और सर्वश्रेष्ठ फंड मैनेजरों को आम तौर पर प्रबंधन के तहत high assets के साथ प्रमुख म्यूचुअल फंड स्कीमो का मेनेजमेंट करने के लिए तैनात करती हैं.

हालांकि, AUM फंड के घटते मार्जिन उपयोगिता का अनुसरण करता है. यह न केवल कभी-कभी फंड एक्सपोजर को बढ़ाता है बल्कि समग्र जोखिम को भी बढ़ा देता है और एक निश्चित स्तर पर जाने के बाद यह फंड के प्रदर्शन को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करना भी शुरू कर देता है.

एक्जिट लोड (Exit Load) :

म्यूचुअल फंड योजनाएं समयबद्ध होती हैं वहीं दूसरी तरफ व्यक्तियों की फाइनेंसियल जरूरतें अप्रत्याशित होती हैं. इमर्जन्सी की स्थिति में निवेशक को कोई संपत्ति की लिक्विडिटी हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम में समय से पहले बाहर निकल ना जरूरी होता है तब निवेशकों को एक्जिट लोड का भुगतान करना पड़ता है. किसी भी स्कीम में निवेश से पहले हमेशा एग्जिट लोड की जांच करें और कम से कम एग्जिट लोड वाली स्कीम को चुनें. stringent एग्जिट लोड वाली स्कीम में निवेश करने से बचें जो आपके कमाए हुए रिटर्न को कम करती हैं.

एक्सपेंस रेश्यो (Expense Ratio) :

किसी भी स्कीम को चुनने में expense ratio एक महत्वपूर्ण कारक है. यह किसी विशेष म्यूचुअल फंड स्कीम को मैनेज करने के लिए administration और operation चार्ज, मेनेज्मेंट चार्ज के रूपमे रिटर्न का एक बड़ा हिस्सा आपसे लेता है. उद्योग मानकों के अनुसार 1.5% का expense ratio एक अच्छा सौदा है. उच्च AUM (एयूएम) के साथ, एक्सपेंस ratio का अनुपात कम होगा. जो म्युचुअल फंड योजना अच्छा प्रदर्शन कर रही होती हैं उसको higher expense ratio प्रभावित नहीं कर सकती है, लेकिन जब वह खराब प्रदर्शन करना शुरू करती है तब वह फंड को काफी नुकशान पहोचाता है.

फंड मैनेजर की expertise और फंड हाउस के record को ट्रैक करें

एक एसेट मेनेजमेंट कंपनी (एएमसी) या एक फंड हाउस Securities & Exchange Board of India (सेबी) के निर्देशों के तहत म्यूचुअल फंड योजनाओं का मेनेजमेंट करता है. आपके निवेश का प्रदर्शन और आपके वित्तीय लक्ष्यों की प्राप्ति सीधे फंड हाउस और फंड मैनेजर द्वारा लिए गए निर्णयों पर निर्भर करती है. इसलिए, किसी विशेष स्कीम का चुनाव से पहले फंड हाउस के अस्तित्व के इतिहास, फंड मैनेजर की विशेषज्ञता और अनुभव और स्कीम के ट्रैक रिकॉर्ड की जांच अवश्य करें.

याद रखें, म्यूचुअल फंड बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के अधीन होते हैं; इसलिए, ऊपर दिए गए मापदंडों को ध्यान में रखते हुए संतुलित पोर्टफोलियो बनाने के लिए अपना ठीक से होमवर्क करें. इसके अलावा, आप अपने लिए सही म्यूच्यूअल फंड चुनने से पहले ऑनलाइन Value Research और CRISIL जैसी विश्वसनीय रेटिंग एजेंसियों की रैंकिंग को अवश्य चेक कर सकते हैं.

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